राम मंदिर ट्रस्ट से लेकर टिकट बँटवारे तक भाजपा ने क्षत्रियों को किया साइडलाइन, यूपी से लेकर गुजरात तक विरोध
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजपूत समाज टिकटों में कम हिस्सेदारी को लेकर भाजपा से नाराज है। जबकि, गुजरात में एक पार्टी नेता की टिप्पणी को लेकर समुदाय आक्रोशित है, मुजफ्फरनगर से भाजपा के मौजूदा सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री संजीव बालियान से भी राजपूत नाराज हैं, तो वहीं राम मंदिर ट्रस्ट में क्षत्रियों को जगह न मिलना भी नाराज़गी की एक वजह है।
- पंकज सिंह चौहान
गुजरात में केंद्रीय मंत्री और भाजपा के उम्मीदवार पुरुषोत्तम रूपाला ने क्षत्रियों के ख़िलाफ़ एक अमर्यादित बयान दिया जिससे क्षत्रिय ऐसे नाराज हुए हैं कि वे पूरे राज्य में प्रदर्शन कर रहे हैं। पहले उन्होंने रुपाला को चुनाव से हटाने की मांग की लेकिन भाजपा ने पुरुषोत्तम रूपाला पर कार्रवाई न करके क्षत्रियों की भावनाओं को दरकिनार कर दिया। इससे क्षत्रियों में काफ़ी नाराज़गी है। वहीं उत्तर भारत के राज्यों में भी क्षत्रिय आंदोलित हैं और भाजपा को हराने की कसमें खा रहे हैं। अपने समाज को टिकट बंटवारे में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिलने से क्षत्रिय समाज नाराज हैं, पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को है लेकिन इससे पहले यूपी वेस्ट में हुई राजपूतों की महापंचायत ने बीजेपी की नींद उड़ा दी है। बीजेपी का कोर वोटर माने जाने वाला राजपूत समुदाय पश्चिमी यूपी में अनदेखी से नाराज है। इस नाराजगी में सबसे बड़ी वजह गाजियाबाद लोकसभा सीट से दो बार बड़े मार्जिन से जीतने वाले जनरल वीके सिंह का टिकट कटना मानाजा रही है और इसी वजह से 7 अप्रैल को सहारनपुर में हुई महापंचायत में बीजेपी के विरोध का ऐलान किया गया था। इस महापंचायत में बीजेपी के खिलाफ सबसे ज्यादा मजबूती से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी को जिताने की बात कही गई।
इन क्षत्रिय नेताओं को भाजपा ने हाशिए पर डाला
बताया जा रहा है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के क्षत्रिय स्थानीय क्षत्रिय नेताओं को भाजपा में किनारे किए जाने से नाराज हैं। भाजपा के फायरब्रांड नेता संगीत सोम खुल कर मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान के खिलाफ बोल रहे हैं। संगीत सोम हों या सुरेश राणा और चंद्रमोहन हों। मुजफ्फरनगर दंगों के समय और उसके बाद ये नेता बड़ी तेजी से उभरे थे। लेकिन बीजेपी ने इनको हाशिए पर डाल दिया। इनके विरोध और राजपूतों की नाराजगी से मुजफ्फनगर के साथ साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटें मुश्किल में पड़ी हैं।
गाजियाबाद से लेकर सहारनपुर तक ठाकुरों का पत्ता साफ़
इस बार भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने गाजियाबाद से लेकर सहारनपुर तक ठाकुरों का पत्ता साफ़ कर दिया है। गाजियाबाद लोकसभा सीट पर लगातार दो बार रिकॉर्ड 5 लाख से ज्यादा वोटों से जीतने वाले जनरल वीके सिंह का टिकट काटे जाने से समुदाय आहत है। उन्हें यकीन था कि वीके सिंह की जगह भी किसी क्षत्रिय उम्मीदवार को ही यह सीट दी जायेगी, क्योंकि पिछले दो दशक से यह सीट ठाकुर उम्मीदवार ही जीतते आ रहे थे।
गाजियाबाद लोकसभा सीट में सबसे अधिक 5.7 लाख राजपूत, 5.5 लाख मुस्लिम, 4.5 लाख ब्राह्मण, 2.5 लाख बनिया, 4.5 लाख अनुसूचित जाति, 1.25 लाख जाट, 1 लाख पंजाबी, 75 हजार त्यागी और 70 हजार गुर्जर मतदाता हैं।
पूर्वांचल में धनंजय सिंह की गिरफ्तारी
धनंजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद से भी क्षत्रिय समाज भाजपा से नाराज़ है। जैसे ही धनंजय सिंह ने लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया उन्हें पुराने मामले में गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया, क्षत्रिय समाज का कहना है कि यह कोई न्यायिक मामला नहीं है तमाम सारे मसाले ऐसे हैं जो न्यायिक होते हुए भी अब तक फैसले के लिए तरस रहे हैं, बताया जा रहा है कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंहल का करीब चार साल पहले अपहरण कराने, रंगदारी मांगने और धमकाने के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को दोषी करार दिया गया है, कुछ जानकार इसे राजनीतिक उठा–पटक से भी जोड़ कर देख रहे हैं। यह तय था कि अगर धनंजय सिंह चुनाव लड़ते तो भाजपा के कृपा शंकर सिंह का हाल बुरा हो जाता, इसी बीच इंजीनियर अपहरण केस में उनको दोषीकरार देकर जेल भेज दिया गया।
करणी सेना के नेता के सिर से उतार दी गई पगड़ी
राजपूत समाज अपनी आन, बान और शान के लिए जाना जाता है. राजपूत समाज के लोग देश और समाज के लिए अपनी जान की बाजी तक लगा देते हैं, इस समाज के कई संगठन सक्रिय है, जो अलग–अलग प्रदेशों में अच्छा–खासा दमखम रखते है, करणी सेना राजपूत समाज का एक संगठन हैं, इस संगठन के बैनर तले राजपूत समाज के लोग अपने हक की बात करते रहते हैं. राजस्थान, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, यूपी, बिहार जैसे राज्यों में जहां–जहां भी राजपूत समाज के लोग बहुलता में हैं, वहां करणी सेना का संगठन काफी मजबूत है. खासकर राजस्थान में करणी सेना का बड़ा दबदबा है, गुजरात में करणी सेना के नेता राज शेखावत को हिरासत में लिए जाते समय उनके साथ अभद्रता की गई, गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद एयरपोर्ट के बाहर उन्हें हिरासत में ले लिया, हिरासत में लेकर गाड़ी में बिठाते समय शेखावत के सिर से पगड़ी उतार दी गई। दरअसल देश के कई हिस्से में सिर पर पहनी जाने वाली पगड़ी कोप्रतिष्ठा माना जाता है, यदि पगड़ी उतार दी गई तो यह कहा जाता है कि उनकी इज्जत उतार दी गई।
राम मंदिर ट्रस्ट में क्षत्रिय समाज को नहीं दी जगह
क्षत्रिय समाज ने किया था मीर बांकी का विरोध अयोध्या में जब बाबर के सेनापति मीर बांकी ने रामलला का मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराना शुरू किया था, तो क्षत्रिय समाज ने उसका विरोध किया। ठाकुर गजराज सिंह ने आस–पास के क्षत्रियों सहित करीब 90 हजार लोगों को इकट्ठा किया और सूर्य मंदिर के सामने शपथ ली थी कि वो जब तक राम मंदिर बनवा नहीं लेंगे तब तक ना पैर में जूते पहनेंगे, ना सिर पर पगड़ी और छाता लगाएंगे। इस प्रतिज्ञा के बाद गजराज सिंह ने 90 हजार सैनिकों के साथ जाकर मीर बांकी से लोहा लिया था। ठाकुर गजराज सिंह और मीर बांकी के बीच करीब 7 दिनों तक भयंकर युद्ध चला था। इस दौरान ठाकुर गजराज सिंह के करीब 90 हजार सैनिक राम मंदिर के लिए शहीद हो गए। युद्धक्षेत्र की जमीन खून से लाल हो गई। बताते हैं कि उसी खून और मिट्टी के गारे से मस्जिद का निर्माण कराया गया था।
जरा सोचिए जिनके परिवारों ने राम मंदिर के लिए इतना बड़ा बलिदान दिया हो और 500 सालों से शान रखने वाला कोई भी काम नहीं किया हो, सिर्फ इस इंजतार में कि एक दिन उनकी और उनके पुरखों की प्रतिज्ञा पूरी होगी और अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनेगा, जिस क्षत्रिय समाज ने मंदिर के लिए इतना बड़ा बलिदान दिया आज उन्हें ही अनदेखा कर दिया गया। राम मंदिर ट्रस्ट में 15 सदस्यों में से एकभी क्षत्रिय समाज के व्यक्ति को जगह नहीं दी गई।