उत्तर प्रदेश

विधानसभा में पत्रकारों के अपमान पर नेशनल यूनियन ऑफ़ जर्नलिट ने जताया ऐतराज

जलपान गृह एवं सेन्ट्रल हॉल में पत्रकारों के प्रवेश पर प्रतिबंध को लेकर बैठक में दर्ज कराई आपत्ति

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र भेजकर संगठन ने उठाई तत्काल सख्त कार्रवाई करने की मांग

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के बजट सत्र के दौरान विधानसभा के सेन्ट्रल हॉल एवं जलपान गृह में पत्रकारों के प्रवेश को प्रतिबंधित किए जाने के मामले पर एनयूजे, उत्तर प्रदेश ने सख्त ऐतराज जताया है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को पत्र लिखकर तत्काल सख्त एवं आवश्यक कार्रवाई किए जाने की मांग उठाई है। संगठन ने विधानसभा प्रशासन के इस निर्णय कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे संसदीय परंपराओं के विपरीत और पत्रकारों के लिए बेहद अपमान जनक करार दिया है। इस संबंध में मंगलवार को हुई बैठक में वरिष्ठ पत्रकारों ने चिंता व्यक्त करते हुए इस निर्णय को संसदीय परंपराओं का उल्लंघन बताया।

गौरतलब हो कि 2 फरवरी तक विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है। इस दौरान विधानसभा प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना और वैध कारण के जलपान गृह एवं सेन्ट्रल हॉल में पत्रकारों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस मामले पर त्वरित संज्ञान लेते हुए एनयूजेकी उत्तर प्रदेश इकाई ने सख्त ऐतराज जताया है। इस संबंध में प्रेस रूम  में मंगलवार को वरिष्ठ पत्रकारों के साथ आपातकालीन बैठक हुई। बैठक में एनयूजे के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रमोद गोस्वामी, संरक्षक सुरेन्द्र कुमार दुबे, अजय कुमार, के बक्श सिंह, प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सक्सेना, प्रदेश कोषाध्यक्ष अनुपम चौहान एवं प्रवक्ता डॉ.अतुल मोहन सिंह ने विधानसभा प्रसाशन के इस निर्णय का कड़ा विरोध दर्ज कराया। इसके साथ ही, उपस्थित पत्रकारों से अपने मानसम्मान की लड़ाई के लिए एक जुट होने का आह्वान किया। श्री गोस्वामी ने कहा कि जब तक हम लोग एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद नहीं करेंगे, जिम्मेदारों को सुनाई नहीं पड़ेगा। सुरेंद्र कुमार दुबे ने कहा कि एक वह समय था जब किसी पत्रकार साथी के साथ कोई घटना घटित होती थी तो, उसके विरोध में सभी साथी एक जुट होकर मुख्यमंत्री तक की प्रेस कॉन्फ्रेंस तक का विरोध करके बाहर निकल आते थे। यह हमारी एकजुटता का प्रमाण था। वीरेंद्र सक्सेना ने कहा कि अपने निजी स्वार्थो के लिए ज़ब तक नेताओं और अफसरों के सामने झुकते रहेंगे हम और वजूद खतरे में पड़ता रहेगा। हमें एक दूसरे की बुराई करने से भी बाज आना चाहिए, तब हम लोग संगठित शक्ति की बदौलत अपने हक़ और अधिकारों की रक्षा कर सकेंगे।

एनयूजे, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष वीरेंद्र सक्सेना ने बताया कि बैठक के अंत में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को प्रेषित एक ज्ञापन उनके कार्यालय में उपलब्ध कराया गया है। उनसे अपेक्षा की गई है कि वह हमारे इस पत्र का संज्ञान लेते हुए अब तक चली रही रही संसदीय परंपरा के अनुरूप पत्रकारों के सम्मान का ध्यान रखते हुए इस मामले में गंभीरता से विचार कर  करते हुए पुनः पुरानी परम्परा को लागू कर देंगे। इसके साथ ही जिम्मेदारों को यह हिदायत भी देंगे कि भविष्य में पत्रकारों के सम्मान से खिलवाड़ करने की कोशिश नहीं करेंगे। इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकरपंकज‘, शाश्वत तिवारी, नवल कांत सिन्हा, अविनाश शुक्ला, अविनाश मिश्रा, दिनेश शर्मा, मुकुल मिश्रा, अमरेंद्र सिंह, आलोक त्रिपाठी, शशि नाथ दुबे, गंगेश, शिल्पी सेन, केके सिंह, योगेश श्रीवास्तव, कुंवर अशोक सिंह राजपूत, डीपी शुक्ला, अब्दुल वहीद, अजय वर्मा सहित काफ़ी संख्या में अन्य साथी मौजूद रहे। उपस्थित सभी पत्रकारों ने भी इस मामले में चिंता जताते हुए कहा कि यह निर्णय सर्वदा अनुचित है, जिससे लोकतंत्र कमजोर होगा।

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