राजनीति
अगर राहुल गांधी ने 2013 में नहीं फाड़ा होता वो अध्यादेश, तो आज बच सकती थी सदस्यता

राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी, उन्होंने अध्यादेश को पूरी तरह बकवास कहा था, बाद में इस अध्यादेश को कैबिनेट ने वापस ले लिया था, राहुल के इस फैसले की आज तक आलोचना होती है।
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी करने पर दायर मानहानि केस में 2 साल की सजा हुई है, कोर्ट के आदेश के 24 घंटे बाद ही शुक्रवार को राहुल की संसद की सदस्यता भी रद्द हो गई, यह सब 2013 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की वजह से हुआ है, जिससे बचने के लिए तत्कालीन यूपीए सरकार के समय में एक अध्यादेश लाया गया था, जो राहुल गांधी की वजह से ही अमल में आते-आते रह गया, 10 साल पहले राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार के एक अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी, अगर वो अध्यादेश लागू हो गया होता, शायद राहुल गांधी की संसद की सदस्यता रद्द नहीं होती।
दरअसल, 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(4) को रद्द कर दिया था, सुप्रीम कोर्ट का फैसला मशहूर लिली थॉमस बनाम भारत संघ के नाम से चर्चित हुआ था, केरल के वकील लिली थॉमस ने जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 (4) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, इसमें इस उपबंध को रद्द करने की मांग की थी, इसके पक्ष में तर्क दिया गया कि यह धारा दोषी सांसदों और विधायकों की सदस्यता बचाती है, जब तक कि ऊपरी अदालत से फैसला न आ जाए।
यूपीए सरकार ले आई थी अध्यादेश
इसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के काट के तौर पर एक अध्यादेश लेकर आई थी. अध्यादेश में वर्तमान में सांसदों और विधायकों को आपराधिक मामलों में सजा सुनाए जाने पर अयोग्य ठहराए जाने से राहत की व्यवस्था की गई थी।
अध्यादेश में ये था प्रावधान?
2013 में लाए गए अध्यादेश में विधायक या सांसद को सजा के बाद 3 महीने तक इससे राहत दिए जाने का प्रावधान किया गया था. अध्यादेश में कहा गया था कि सजायाफ्ता मौजूदा सांसद/विधायक को 3 महीने तक अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है. इसके साथ ही अगर इन तीन महीनों के भीतर मौजूदा सांसद/विधायक सजा की तारीख से तीन महीने के अंदर अपील दायर करता है, तो उसे तब तक अयोग्य नहीं ठहाराया जा सकता; जब तक अपील पर फैसला नहीं आ जाता।
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़ दी थी अध्यादेश की कॉपी
अध्यादेश को मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कैबिनेट से पास किया गया और मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया. इसके बाद राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अध्यादेश की कॉपी फाड़ दी थी. उन्होंने अध्यादेश को पूरी तरह बकवास कहा था. बाद में इस अध्यादेश को कैबिनेट ने वापस ले लिया था. राहुल के इस फैसले की आज तक आलोचना होती है।