होम
कहीं दूर किन्हीं अक्षांशों पर हम मिलेंगे…
**हम मिलेंगे**
कहीं दूर किन्हीं अक्षांशों पर हम मिलेंगे
या फिर एक ही देशांतर पर
अलग अलग गोलार्द्ध में होंगे
हमारा प्रेम तब भी आकर्षित करेगा
या फिर हम मिलेंगे बन के 2 छोर किसी नदी के
कभी पृथ्वी और चाँद की तरह हम रहेंगे इर्द गिर्द ..
या शायद किसी तलहटी के कुछ धूल कण बन मिलेंगे .
तो कभी कलम और कागज बन मिलेंगे
और साथ में लिखेंगे एक खूबसूरत कविता
कभी ना ख़त्म होने वाली कविता ..
कभी जब हम तूलिका और रंग बन मिलेंगे तो
उकेर देंगें सभ्यता के वो रंग
जो आज तक ना लिखे गये ना सहेजे गये..!!
पूनम भास्कर “पाखी”