उत्तर प्रदेश

आटा, बेसन, सीमेंट और सरिया को भी हलाल सर्टिफिकेट की जरूरत? यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पूछा सवाल

हलाल सर्टिफिकेट पर बैन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीमेंट, सरिए पर सर्टिफिकेट पर हैरानी जताई है, वहीं,जमीयत ने केंद्र के जवाब पर पक्ष रखने के लिए वक्‍त मांगा है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात पर हैरानी जताई है कि देश गैर मीट उत्पादों को भी हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा कि आटा, बेसन और पानी की बोतल जैसे उत्पादों को भी हलाल सर्टिफिकेट दिया जा रहा है. यह समझ से परे है कि बेसन कैसे हलाल या गैर हलाल हो सकता है. बात खाने-पीने की चीज़ों तक सीमित नहीं है. सीमेंट और सरिया जैसी चीजों को भी यह सर्टिफिकेट दिया जा रहा है।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हर उत्पाद पर हलाल प्रमाण पत्र देने वाली निजी एजेंसियां लाखों करोड़ रुपए कमा रही हैं. हलाल सर्टिफिकेट लेने में आने वाली लागत को कंपनी उत्पाद की कीमत में जोड़ देती है. इससे कीमत बढ़ जाती है. गैर मुस्लिम लोगों को भी यह खर्च उठाना पड़ रहा है. कुछ लोग अगर किसी खास किस्म का उत्पाद इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उसका खर्चा सब लोग क्यों उठाएं? सुप्रीम कोर्ट को इस पर विचार करना चाहिए.

हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के वकील ने क्या कहा?

सुनवाई के दौरान जमीयत उलेमा ए हिंद के लिए पेश वरिष्ठ वकील एम आर शमशाद ने कहा कि हलाल जीवन शैली से जुड़ा विषय है. यह सोचना गलत है कि हलाल या गैर हलाल का सिद्धांत सिर्फ मीट उत्पादों पर ही लागू है. बहुत से खाद्य पदार्थ ऐसे हो सकते हैं जिनमें प्रिजरवेटिव के रुप में अल्कोहल का इस्तेमाल हुआ हो. ऐसे खाद्य पदार्थ गैर हलाल की श्रेणी में आएंगे. हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के वकील ने कहा कि लिपस्टिक जैसा मेकअप उत्पाद भी हलाल या गैर हलाल हो सकता है.

मार्च के अंतिम सप्ताह के लिए टली सुनवाई

जस्टिस बी आर गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने याचिकाकर्ताओं को केंद्र के हलफनामे पर जवाब देने को कहते हुए सुनवाई मार्च के अंतिम सप्ताह के लिए टाल दी. कोर्ट ने कहा कि उसने यूपी सरकार को पहले आदेश दिया था कि वह इस मामले में कोई दंडात्मक कार्रवाई न करे. वह आदेश फिलहाल जारी रहेगा।

उत्तर प्रदेश में हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों की बिक्री पर रोक के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 जनवरी, 2024 को नोटिस जारी किया था. यूपी के फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FSDA) ऑफिस ने 18 नवंबर 2023 को जारी अधिसूचना में हलाल सर्टिफिकेट वाले खाद्य पदार्थों, दवाओं और कॉस्मेटिक्स समेत दूसरे उत्पादों की बिक्री और भंडारण पर रोक लगा दी थी. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जमीयत उलेमा ए हिंद महाराष्ट्र का कहना था कि अगर धार्मिक कारणों से लोग हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पादों का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो इससे दूसरे लोगों के हितों पर कोई असर नहीं पड़ता. उन्होंने अपनी याचिका में हलाल सर्टिफिकेट जारी करने वाली संस्थाओं पर यूपी में FIR दर्ज होने का भी विरोध किया था।

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