राजनीति

सनातन का विरोध कांग्रेस को ले डूबा, कांग्रेस की नहीं ये वामपंथ की हार है: प्रमोद कृष्णम

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम् ने राजस्थान, छ्त्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर टिप्पणी की है।उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को वामपंथ के रास्ते पर ले जाने वाले नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कोजातिवादी राजनीति और सनातन का विरोध ले डूबा।

लखनऊः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम् ने राजस्थान, छ्त्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर तीखी बातकह दी है। उन्होंने कहा कि पार्टी के भीतर कुछ लोग घुस आए हैं, जो कांग्रेस को महात्मा गांधी के रास्ते से हटाकर मार्क्स के रास्ते पर लेजाना चाहते हैं। अगर ऐसा ही रहा तो पार्टी की हालत एआईएमआईएम जैसी हो जाएगी। कृष्णम् ने कहा कि कांग्रेस को अब सनातन विरोधी पार्टी के रूप में जाना जाने लगा है। सनातन का विरोध हमें ले डूबा। तीन राज्यों में पार्टी की हार सनातन का शाप है। उन्होंने यह भी कहा कि तीनों राज्यों के कांग्रेस प्रभारियों को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।

आचार्य प्रमोद कृष्णम् ने कहा, ‘मुझे लगता है कि ये कांग्रेस की हार नहीं है। ये वामपंथ की हार है। कुछ दिनों से कांग्रेस में कुछ ऐसे नेता घुस आए थे और घुस आए हैं और उनका बड़ा प्रभुत्व है। कांग्रेस के सभी फैसलों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। वो कुछ नेता कांग्रेस को महात्मा गांधी के रास्ते से हटाकर वामपंथ के रास्ते पर ले जाना चाहते हैं। जो कांग्रेस पार्टी कभी महात्मा गांधी के रास्ते पर चलकर यहांतक आई है, महात्मा गांधी की सभा की शुरुआत रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम से होती थी। आज उस कांग्रेस को सनातन के विरोधी पार्टी के रूप में जाना जाने लगा है ये दुर्भाग्य है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने ऐसे नेताओं को अगर नहीं निकाला तो कांग्रेस पार्टी की हालत बहुत जल्दी एमआईएम जैसी हो जाएगी।पार्टी के नेतृत्व को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और कांग्रेस को महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी की कांग्रेस ही रहने देना चाहिए। कांग्रेस को महात्मा गांधी के रास्ते से हटाकर मार्क्स के रास्ते ले जाने वाले जो नेता हैं, उनको बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए।

आचार्य ने आगे कहा, ‘भारत भावनाओं का देश है। सनातन का विरोध हमें ले डूबा। जाति वाली राजनीति को देश ने कभी स्वीकार नहीं किया। 6 दिसंबर 1990 का राजीव जी का भाषण है, संसद में। वो सुन लीजिएगा। ये देश अगर जातिवादी होता तो विश्वनाथ प्रताप सिंह को गांवगांव पूजा जाता। विश्वनाथ प्रताप जी जब मंडल लाए थे, उनसे बड़ा कोई जातिवाद का कार्ड खेलने वाला नेता नहीं हुआ लेकिन उनकी हालत इस देश में क्या हुई, ये सबके सामने है इसलिए जातिवादी राजनीति और सनातन का विरोध हमें ले डूबे।

चुनाव में हार को लेकर उन्होंने कहा कि इसका एनालिसिस होगा। फिलहाल इन राज्यों के जो प्रभारी हैं, उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर उनमें जरा सी भी शर्म हो अपनाअपना इस्तीफा दे देना चाहिए। ये हार सनातन का शाप है।

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