उत्तर प्रदेश

सनातन से छठ पर्व मनाते आये हैं…..

कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य

डूबते, उदय होते सूर्य को अर्घ्य

आज वृत्तधारियों से मिल रहा हैं,

प्रकृति से प्रेम अनोखा जागा है,

शामसुबह का संयोग मिला है।

 

अस्ताचल गामी सूर्य को अर्ध्य

उपासकों के द्वारा दिया जायेगा,

कल उगते सूरज को फिर पूजेंगे,

तब छठमैया वृत पारायण होगा।

 

उगते सूर्य को सभी नमन करते हैं,

पर भारत में अस्त होते सूर्य का भी

हम सदा से पूजन करते आये हैं,

सनातन से छठ पर्व मनाते आये हैं।

 

प्रकृति की पूजा जनहित पूजा है,

अस्त होना और फिर उदय होना,

प्रकृति की स्वाभाविक प्रक्रिया है,

स्थिरता, गति पाना ही जीवन है।

 

छिति, जल, पावक, गगन, समीर

सब छठि पूजा में मंगल कारक हैं,

फल, फूल, नारियल, गन्ना सभी,

छठ महापर्व में प्रकृति पोषक हैं।

 

नहीं मंत्र की आवश्यकता और

कोई पंडित और पुजारी होता है,

लोक गीत ही मंत्र और स्त्रीपुरुष

सभी स्वयं प्रत्येक पुजारी होता है।

 

आदित्य अति अद्भुत अत्यंत कठिन,

छठ महापर्व का यह पावन वृत्त है,

जो चार दिनों में पारायण होता है,

आदित्यभास्कर को समर्पित है।

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति karnvaninews उत्तरदायी नहीं है।)

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