लखनऊ
श्री बगला का आविर्भाव

ऊँ सर्वप्रथम सृष्टि के तम का नाश करने के लिए परम प्रकाश स्वरूप माँ आद्या का प्रादुर्भाव हुआ जिनसे लोक के कल्याणार्थ दस महाविद्याओं का प्रस्फुरण हुआ….जो इस प्रकार है…
काली, तारा महाविद्या, षोडशी भुवनेश्वरी।
भैरवी, छिन्नमस्तिका च विद्या धूमावती तथा।।
बगला सिद्धविद्या च मातंगी कमलात्मिका।
एता दश-महाविद्याः सिद्ध-विद्याः प्रकीर्तिताः
उपर्युक्त महाविद्याओं में बगला चौथी महाविद्या हैं…वात क्षोभ के स्तम्भन हेतु भगवान विष्णु ने तप पूर्वक पराम्बा श्री त्रिपुर सुंदरी पीताम्बरा को सौराष्ट्र के हरिद्रा सरोवर में प्रकट किया। भगवती ने वात क्षोभ को स्तम्भन कर सृष्टि के सृजन को गति प्रदान की। क्योंकि कहा गया है कि-
तस्माद् वायोस्सकाशादग्निरग्नेर्जलम्।
जलाद् भूमिस्तत् सकाशादन्नमन्नात् प्रजा।
अर्थात् उससे वायु, वायु से अग्नि, अग्नि से जल, जल से भूमि, भूमि से अन्न और अन्न से प्रजा उत्पन्न होती है।इस प्रकार भगवती बगला के आविर्भाव से सृष्टि कार्य में आने वाले विघ्नों का अवरोधन हुआ। इन्होंने केवल वायु का स्तम्भन ही नहीं किया अपितु ब्रह्मा की सृष्टि में समस्त वस्तुओं की आधारभूता भी आप ही हैं… आप की शक्ति से ही ग्रह , उपग्रह नक्षत्र आदि टिके हुए हैं। आप समस्त चराचर की चित्त शक्ति कुण्डलिनी हैं जिन्हें पौराणिकों ने निखिल ब्रह्मांडों के परमाधार शेष, अनन्तादि नामों से पुकारा गया है।
