गुरु बिन ज्ञान कहा इस जग में……
स्वेता ठाकुर– अध्यापिका, केंद्रीय विद्यालय प्रयागराज
” गुरु महिमा “
गुरू ज्ञान का भंडार है,
गुरू ही इस जीवन का आधार है।
गुरु बिन ज्ञान कहा इस जग में,
गुरु महिमा ही तो भगवत् का सार है।।
ज्ञान की ज्योति जलाकर गुरु ही,
मन का तिमिर मिटाता है।
भटके अगर कोई मंजिल से,
तो गुरू ही सही राह दिखलाता हैं।
विषय ज्ञान के साथ साथ,
वह जीवन का भी पाठ पढाता है।
ऐसी अलौकिक गुरु महिमा,
इस जग में आज भी अपरम्पार हैं।।
गुरु महिमा ही तो भगवत् का सार है।।
राजा हो या रंक सभी को,
गुरु ही शिष्टाचार समझाता है।
अनुशासन के साथ शिष्य को,
जीवन में आगे बढना सिखाता हैं।।
गुरू ही ब्रम्हा गुरू ही विष्णु,
गुरू ज्ञान का सागर भी कहलाता है।
ऐसे अपने गुरु को हम सदैव,
प्रति नतमस्तक करते बारम्बार है।।
गुरु महिमा ही तो भगवत् का सार है।।
नई सोच, नया जुनून…. करण वाणी
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