डॉ. राजेश्वर सिंह ने केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को लिखा पत्र, अवैध घुसपैठियों को शीघ्र निकालने हेतु कानूनी सुधारों की मांग
" 2016 तक के आंकड़ों में 2 करोड़ से अधिक अवैध घुसपैठ, लेकिन निर्वासन नगण्य: MHA के आंकड़ों के आधार पर डॉ. सिंह ने ठोस कार्यवाही का किया आह्वान"

अब निर्णय का समय: डॉ. राजेश्वर सिंह ने विशेष ट्राइब्यूनल और त्वरित निर्वासन तंत्र की मांग की
लखनऊ। देश की आंतरिक सुरक्षा, सामाजिक संतुलन और जनसांख्यिकीय संरचना की रक्षा के उद्देश्य से, सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने भारत सरकार के कानून एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को पत्र लिखकर देश में रह रहे अवैध प्रवासियों की शीघ्र और प्रभावी वापसी सुनिश्चित करने हेतु व्यापक कानूनी एवं संस्थागत सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया है।
डॉ. सिंह ने गृह मंत्रालय द्वारा संसद में प्रस्तुत ऐतिहासिक आंकड़ों का उल्लेख करते हुए कहा: 1997 में भारत में 1 करोड़ से अधिक अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या दर्ज की गई थी। 2004 तक यह आंकड़ा बढ़कर 1.2 करोड़ हो गया। 2016 में यह संख्या 2 करोड़ से अधिक हो चुकी थी।और 2025 में यह वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक मानी जा रही है।
इसके बावजूद, कानूनी जटिलताओं, संवैधानिक प्रावधानों के दुरुपयोग (विशेषकर अनुच्छेद 21 – जीवन के अधिकार), और लंबी अदालती प्रक्रिया के चलते निर्वासन की गति लगभग नगण्य रही है। डॉ. सिंह ने विशेष रूप से रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा एनजीओ और एक्टिविस्ट वकीलों की मदद से कानूनी प्रक्रिया को खींचने के तौर-तरीकों को रेखांकित किया।
“यह मात्र घुसपैठ नहीं, बल्कि एक मौन आक्रमण है, जो हमारे रोजगार, सुरक्षा, सांस्कृतिक ताने-बाने और जनसंख्या-संरचना को कमजोर कर रहा है।” – डॉ. राजेश्वर सिंह
इस राष्ट्रीय संकट से निपटने के लिए, डॉ. राजेश्वर सिंह ने 6 बिंदुओं पर आधारित व्यापक कानूनी एवं प्रशासनिक सुधार एजेंडा प्रस्तुत किया है, जिसे उन्होंने माननीय कानून मंत्री श्री मेघवाल के नेतृत्व में शीघ्र लागू किए जाने की अपील की है।
प्रस्तावित प्रमुख सुधार बिंदु:
1. विदेशी अधिनियम, 1946 में संशोधन
निर्वासन की स्पष्ट समय-सीमा और प्रक्रिया निर्धारित की जाए।
जिलाधिकारियों को सीधे तौर पर निर्वासन आदेश जारी करने का अधिकार दिया जाए।
2. विशेष आव्रजन न्यायाधिकरणों की स्थापना
प्रत्येक राज्य में त्वरित सुनवाई हेतु विशेष ट्राइब्यूनल गठित किए जाएं।
3. केंद्रीय पहचान फ्रेमवर्क (Central Identification Framework) का निर्माण
NRC/NPR को आधार, मोबाइल ट्रैकिंग और AI तकनीकों से जोड़कर राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जाए।
अवैध प्रवासियों की एक राष्ट्रीय केंद्रीकृत डाटाबेस तैयार की जाए, जिसे सभी सुरक्षा एजेंसियों से साझा किया जाए।
4. प्रशासनिक क्षमता का सशक्तिकरण
सीमा एवं संवेदनशील राज्यों में नए डिटेंशन सेंटर्स बनाए जाएं।
स्थानीय पुलिस को सत्यापन, गिरफ्तारी और केंद्र के साथ समन्वय के विशेष अधिकार प्रदान किए जाएं।
5. राष्ट्रीय आव्रजन नियंत्रण अधिनियम (National Immigration Control Act)
सभी मौजूदा कानूनों और नियमों को एकीकृत कर एक व्यापक कानून बनाया जाए।
अनुच्छेद 21 के दुरुपयोग को रोकने हेतु स्पष्ट प्रावधान किए जाएं।
6. निर्वासन मामलों के लिए न्यायिक दिशा-निर्देश
बार-बार की याचिकाओं, अनावश्यक रोक और स्थगन आदेशों पर रोक लगे।
केवल दुर्लभ, मानवीय मामलों में ही अदालत हस्तक्षेप करे; अन्यथा राज्य की कार्रवाई बाधित न हो।
वैश्विक उदाहरण और भारत की स्थिति:
डॉ. सिंह ने उदाहरण देते हुए कहा कि पाकिस्तान ने एक वर्ष के भीतर 8 लाख से अधिक अफगानों को वापस भेजा, जबकि भारत में 2 करोड़ से अधिक अवैध प्रवासी वर्षों से देश की व्यवस्था में सेंध लगाए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप भी इस चुनौती से जूझ रहे हैं, परंतु अब भारत को नेतृत्व करना होगा और कठोर किंतु संवैधानिक कार्रवाई करनी होगी।
“हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था संप्रभुता की कीमत पर नहीं चल सकती। अब हमें तेज, ठोस और निष्पक्ष प्रणाली की आवश्यकता है, जो राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए कार्य करे।” – डॉ. राजेश्वर सिंह
डॉ. सिंह ने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री के मार्गदर्शन तथा कानून मंत्री मेघवाल के नेतृत्व में भारत इस चुनौती से सफलतापूर्वक निपटेगा और अवैध घुसपैठियों के विरुद्ध एक न्यायसंगत, प्रभावी तथा संवैधानिक प्रक्रिया स्थापित करेगा।