उत्तर प्रदेश

युद्ध के बदलते आयामों पर डॉ. राजेश्वर सिंह की डिजिटल चेतना: “कीबोर्ड और कोड ही बनेंगे भविष्य की ढाल”

सोशल मीडिया पर युवाओं के नाम डॉ. सिंह का सशक्त संदेश : “भविष्य के युद्ध: युवाओं के लिए एक आह्वान” आधुनिक युद्ध: पारंपरिक हथियार नहीं, डेटा और डिजिटल प्रभुत्व, डॉ. सिंह ने गिनाए युद्ध के पांच नए स्वरुप

पांच प्रमुख आयाम: साइबर से लेकर मनोवैज्ञानिक युद्ध तक : डिजिटल जागरूकता की राष्ट्रीय आवश्यकता पर बल, डिजिटल साक्षरता: आत्मरक्षा और नेतृत्व की कुंजी, तीन स्तंभ – सशक्तिकरण, संरक्षण, भागीदारी

लखनऊ (करण वाणी, न्यूज़)। जब दुनिया के मोर्चे बदल चुके हैं, तो नेतृत्व की सोच भी पुरानी नहीं रह सकती। सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने शुक्रवार को एक गंभीर और दूरदर्शी चेतावनी सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं तक पहुंचाई, “भविष्य के युद्ध: युवाओं के लिए एक आह्वान”। विधायक का यह सन्देश न केवल विचारोत्तेजक है, बल्कि समय की पुकार भी है।

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर किये गए पोस्ट में उन्होंने युद्ध के पारंपरिक आयामों को पीछे छोड़, आज के साइबर, इन्फोर्मेशन, ट्रेड और मनोवैज्ञानिक आदि अदृश्य लेकिन विध्वंसक आयामों की चर्चा की। उन्होंने स्पष्ट किया कि आज का युद्ध बारूद से नहीं, डेटा और डिजिटल प्रभुत्व से लड़ा जा रहा है, और ऐसे में देश की सुरक्षा का पहला किला युवा पीढ़ी की डिजिटल साक्षरता और सजगता है।

डॉ. सिंह ने अपने संदेश में आधुनिक युद्ध की उन पाँच धाराओं का उल्लेख किया है जिनसे भारत ही नहीं, पूरी दुनिया जूझ रही है –

1. साइबर युद्ध

वन्नाक्राय रैनसमवेयर (वर्ष 2017): 150 देशों में 2 लाख से अधिक कंप्यूटर ठप पड़े। नॉटपेट्या आक्रमण: वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगभग 10 अरब डॉलर की क्षति। भारत में: भारतपे हैक (अगस्त 2022): 37,000 उपयोगकर्ताओं का आँकड़ा चोरी। स्वच्छ भारत ऐप हैक (सितंबर 2022): 1.6 करोड़ नागरिकों का आँकड़ा लीक।अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान साइबर हमला (दिसंबर 2022): 1.3 टेराबाइट आँकड़े की सेंध।

2. व्यापार युद्ध

संयुक्त राज्य अमेरिका बनाम चीन: प्रतिबंध, शुल्क एवं तकनीकी वर्चस्व की होड़। अमेरिका बनाम यूरोपीय संघ: आर्थिक तनाव एवं रणनीतिक प्रतिस्पर्धा।

3. सूचना युद्ध

वर्ष 2016 के अमेरिकी चुनाव में सोशल मीडिया द्वारा भ्रम फैलाने के प्रयास। सरकारी स्तर पर जनमत को प्रभावित करने हेतु प्रचार तकनीकों का उपयोग।

4. आर्थिक जासूसी

बौद्धिक संपदा की चोरी, विशेषकर चीन पर लगे गंभीर आरोप। व्यापारिक गुप्त जानकारियों की जासूसी कर प्रतिस्पर्धा में लाभ लेना।

5. मनोवैज्ञानिक युद्ध

भ्रामक प्रचार, भय का वातावरण और षड्यंत्र सिद्धांतों के माध्यम से युवाओं की सोच और सामाजिक ताने-बाने को भ्रमित करने के प्रयास।

उदाहरणतः, अमेरिका में QAnon जैसे षड्यंत्र सिद्धांतों ने 2020-21 के दौरान लाखों युवाओं को भ्रामक सूचनाओं से प्रभावित किया, जिसका असर वहां की लोकतांत्रिक प्रक्रिया तक पर देखा गया।

रूस द्वारा यूक्रेन के विरुद्ध चलाए गए सूचना अभियानों में भी जनता के मनोबल को तोड़ने और भ्रम फैलाने के प्रयास हुए, जिसे पश्चिमी देशों ने मनोवैज्ञानिक युद्ध के रूप में वर्गीकृत किया।

डॉ. सिंह ने स्पष्ट कहा कि डिजिटल साक्षरता केवल एक कौशल नहीं, बल्कि इक्कीसवीं सदी में आत्मरक्षा और उन्नति की कुंजी है। इसका तात्पर्य तीन स्तरों पर है: सशक्तिकरण – युवा तकनीक के उपभोक्ता नहीं, निर्माता बनें। संरक्षण – हैकिंग, मालवेयर तथा साइबर खतरों से सुरक्षा। भागीदारी – डिजिटल समाज एवं अर्थव्यवस्था में सशक्त भागीदारी।

सरोजनीनगर में प्रयास – संकल्प से सिद्धि तक

डॉ. सिंह का यह चिंतन केवल वैचारिक नहीं, नीति आधारित और धरातलीय भी है। उनके नेतृत्व में सरोजिनी नगर में कई डिजिटल प्रयास सफलता से क्रियान्वित हुए हैं: 30 डिजिटल पुस्तकालयों की स्थापना, 31 स्मार्ट पैनल बोर्ड, 13 रण बहादुर सिंह डिजिटल शिक्षा एवं युवा सशक्तिकरण केंद्र, पहाड़पुर के प्राथमिक विद्यालय में – रोबोटिक्स प्रयोगशाला, तारामंडल, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी एवं गणित प्रयोगशाला, बाल क्रीड़ा केंद्र आदि की स्थापना तथा 1100 से अधिक मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप, टैबलेट एवं साइकिल सम्मान स्वरूप प्रदान की गईं।

विशेषज्ञों की दृष्टि से संदर्भित दृष्टिकोण

“डिजिटल साक्षरता केवल एक कौशल नहीं है, बल्कि यह इक्कीसवीं सदी में जीवित रहने के लिए एक आवश्यकता है।” इस संदेश की गंभीरता एवं वैश्विक प्रासंगिकता को विचारकों एवं रणनीतिक विशेषज्ञों के उद्धरणों से बल मिलता है: “युद्ध का भविष्य केवल प्रौद्योगिकी के विषय में नहीं है, बल्कि इस बात में है कि हम इसे अपने विश्व को आकार देने के लिए कैसे उपयोग करते हैं।” – एश्टन कार्टर, पूर्व अमेरिकी रक्षा मंत्री। “आज के युवा कल के नेता हैं, और उन्हें तेजी से बदलती दुनिया की चुनौतियों के लिए तैयार रहना होगा।” – नेल्सन मंडेला

एक दूरदर्शी चेतावनी, जो केवल संदेश नहीं – नीति का आधार है

डॉ. सिंह की यह पोस्ट केवल साझा करने योग्य नहीं, बल्कि यह सरकार, नीति निर्माताओं, शिक्षकों और अभिभावकों के लिए सोचने की दिशा भी प्रस्तुत करती है। उनकी यह दृढ़ मान्यता कि: “युद्ध के नए मैदानों में अब कीबोर्ड और कोड ही भारत की रक्षा करेंगे” – भारत की युवा पीढ़ी को न केवल चेतावनी देती है, बल्कि उन्हें प्रेरणा भी प्रदान करती है। “डिजिटल साक्षरता अब केवल टेक्नोलॉजी सीखने का माध्यम नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और नेतृत्व की पहली सीढ़ी है।” “युवा अब की बोर्ड से लड़ेंगे, कोड से देश गढ़ेंगे, और सूचना के मोर्चे पर भारत को अजेय बनाएंगे।”

वास्तव में, यह एक राजनेता का नहीं, एक दूरदर्शी रणनीतिकार का वक्तव्य है, जो आने वाली पीढ़ियों को न केवल तैयार कर रहा है, बल्कि उन्हें युद्ध के नए मैदान में विजेता बनाने की सोच रखता है। सरोजनी नगर में डिजिटल अवसंरचना पर उनका लगातार होता निवेश यही दर्शाता है कि वे न केवल तकनीक को समझते हैं, बल्कि समाज को उसका लाभ दिलाने के लिए सक्रिय भी हैं।

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