धर्म, संस्कृति और, परंपराओं को संजोता सरोजनीनगर: 40वीं रामरथ से अयोध्या पहुंचे श्रद्धालु
आस्था और सेवा का पुनीत संगम: डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा निरंतर संचालित राम रथ श्रवण अयोध्या यात्रा, राम मंदिर दर्शन : फ्री बस सेवा संचालित कर डॉ. राजेश्वर सिंह पूरी करवा रहे ग्रामीणों की आस

संस्कृति, सेवा और श्रद्धा को नया आयाम: विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने 40वीं रामरथ से ऐन के श्रद्धालुओं को कराया अयोध्या दर्शन
वृद्धजनों के जीवन में आस्था, आनंद और संतोष के पल जोड़ रही निरंतर संचालित रामरथ श्रवण अयोध्या यात्रा: डॉ राजेश्वर सिंह
लखनऊ। आराध्य प्रभु श्रीराम हमारी आस्था के प्रतीक, हमारे अस्तित्व की पहचान हैं। भगवान राम की नगरी अयोध्या के दर्शन मात्र से चारों पुरुषार्थ सफल हो जाते हैं, जीवन के सभी सत्कर्मों का सार सिद्ध हो जाता है। इसी भाव को ध्यान रखकर सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह लगातार बुजुर्गों और महिलाओं को अयोध्या धाम के दर्शन करवा रहे हैं।
ऐन गाँव से 40वीं रामरथ श्रवण अयोध्या का संचालन
रविवार को ऐन गाँव से 40वीं रामरथ श्रवण अयोध्या यात्रा निःशुल्क बस सेवा का संचालन कर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा रामभक्तों को अयोध्या दर्शन कराया गया। सुबह तडके ही गाँव की महिलाए, बुजुर्ग और बच्चे विधायक की फ्री बस सेवा से अयोध्या जाने के लिए इकट्ठे हो गए। विधायक की टीम ने सभी को पटका पहनाकर बस पर बिठाया। जय श्रीराम के उद्घोष और विधायक के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए करीब 200 किलोमीटर की यात्रा कर तीर्थयात्री अयोध्या पहुंचे। यात्रा के दौरान विधायक की टीम चाय, नाश्ते से लेकर भोजन, प्रसाद सहित यात्रियों की सभी सुविधाओं का ख्याल रखती नजर आई। तेज धूप में किसी श्रद्धालु को समस्या न हो इसके लिए अयोध्या धाम में विभिन्न स्थलों के दर्शन के लिए बैटरी रिक्शा का प्रबंध किया गया। श्रद्धालुओं को समय – समय पर जूस, शीतल पेय, शिकंजी आदि उपलब्ध कराई गयी।
भव्य राम मंदिर की छवि निहार, भाव विभोर हुए श्रद्धालु
श्रद्धालुओं ने हनुमान गढ़ी, राम मंदिर, दशरथ महल, कनक भवन, राम की पैडी आदि धार्मिक महत्व के स्थलों के दर्शन कर पुण्य लाभ प्राप्त किया। अधिकाँश यात्रों के लिए भव्य राम मंदिर के दर्शन का यह पहला अनुभव था। राम जन्मोत्सव के श्रृंगार और कार्यक्रमों के मौके पर राम मंदिर के दर्शन कर भावुक नजर आ रहे श्रद्धलुओं ने विधायक का आभार व्यक्त किया। इस सम्बन्ध में डॉ. राजेश्वर सिंह का मानना है, ”हर वृद्धजन को आराध्य प्रभु श्रीराम के दिव्य आशीर्वाद का अनुभव कराकर उनके जीवन में आनंद और संतोष के पल जोड़ने के उद्देश्य से यह बस सेवा अनवरत जारी रहेगी।”
राम रथ श्रवण अयोध्या यात्रा का उद्देश्य
गोस्वामी जी ने कहा है, “बिनु हरि कृपा न मिलहिं संता। संत मिलन सम नहीं आनंदा॥” अर्थात भगवान की कृपा के बिना संतों या सत्संग का मिलना संभव नहीं है, और संतों का संग सर्वोच्च आनंद देता है। रामरथ केवल एक यात्रा नहीं, यह एक चलती-फिरती तीर्थ है जो श्रद्धालुओं को प्रभु श्रीराम की कृपा से जोड़ती है। यह यात्रा गांवों में आस्था के दीप जलाकर उन्हें संस्कृति, धर्म और सेवा के धागों में पिरोती है।
राम मंदिर दर्शन : पूरी हो रही ग्रामीणों की आस
“जासु नाम जपि सुनि भव त्रास नाशउ। होई परम गति राम सिय नायक॥” अर्थात जिनका नाम जपने और सुनने से ही संसार के दुख मिटते हैं, वही राम सर्वोच्च गति के दाता हैं। राम रथ श्रवण अयोध्या यात्रा के माध्यम से अधिकाँश ऐसे लोगों को, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को अयोध्या दर्शन का मौका मिल रहा है, जिनके लिए अयोध्या आना जाना किसी सपने के कम नहीं है। इस यात्रा के माध्यम से रामलला का दर्शन, खासकर भव्य मंदिर में, श्रद्धालुओं के लिए आत्मिक शांति, गर्व और कृतज्ञता का अनुभव है। यह दर्शन उनके जीवन में एक अविस्मरणीय अध्यात्मिक मोड़ होता है, जहां उन्हें लगता है कि प्रभु ने उन्हें बुलाया है।
सरयू स्नान से मिलती शांति, श्रद्धा और एक नया आत्मबल
“सरजू सुरसरि जाहिं नहावहिं। तिन्ह कर परम गति होइ सुहावहिं॥” अर्थात सरयू और गंगा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, उन्हें परम गति प्राप्त होती है।सरयू स्नान, विशेष रूप से प्रभु श्रीराम की नगरी में, एक आध्यात्मिक शुद्धिकरण है। श्रद्धालु इस स्नान को पुनर्जन्म समान अनुभव मानते हैं, जिससे उन्हें शांति, श्रद्धा और एक नया आत्मबल प्राप्त होता है।
सामाजिक बन्धनों को मजबूत करती रामरथ यात्रा
“संगति सदगुन उपजहि बिहारी। बिनु संगति मिलहिं न बिनुारी॥” अर्थात अच्छी संगति से ही सद्गुण उत्पन्न होते हैं, और बिना संगति के भक्ति भी संभव नहीं है। विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह द्व्रारा संचालित इस बस सेवा से जब पूरे गांव के अधिकाँश लोग मिलकर एक साथ अयोध्या जाता है, तो यह यात्रा सामूहिक भक्ति और आत्मीयता का रूप ले लेती है। यह आपसी मनमुटाव मिटाकर, गांव की एकजुटता और सामाजिक बंधन को और मजबूत करती है।
सेवा का भाव और विधायक की मंशा
“परहित सरिस धर्म नहिं भाई। परपीड़ा सम नहिं अधमाई॥” अर्थात दूसरों की भलाई से बढ़कर कोई धर्म नहीं, और दूसरों को कष्ट देना सबसे बड़ा अधर्म है। डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा संचालित यह यात्रा न केवल धार्मिक है, बल्कि जनसेवा, सामाजिक समरसता और बुजुर्गों के सम्मान का प्रत्यक्ष उदाहरण है। यह यात्रा केवल मंदिर की नहीं, मन के मंदिर तक पहुंचने का मार्ग है।
ज्ञात हो कि सितम्बर 2022 में सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह द्वारा शुरू की गयी इस निःशुल्क बस सेवा के माध्यम से अब तक वृद्धाश्रम के वृद्धजन, रण बहादुर सिंह डिजिटल शिक्षा एवं युवा सशक्ति केन्द्रों के प्रशिनार्थी, स्कूली बच्चों सहित करीब 5,000 से अधिक श्रद्धालुओं को अयोध्या दर्शन कराया जा चुका है।