SGPGI में 24 डॉक्टरों ने छोड़ा संस्थान, फैकल्टी फोरम नाराज, निदेशक पर बात न सुनने का लगाया आरोप
संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने फैकल्टी फोरम की तरफ से लगाए जा रहे आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि मेरे कार्यकाल में केवल 4 डॉक्टरों ने संस्थान छोड़ा है.

करण वाणी, न्यूज़। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान से बीते 4 सालों में करीब 24 डॉक्टरों ने संस्थान को छोड़ दिया है. वहीं साल 2020 से कई सीनियर प्रोफेसर के एसीआर को लेकर भी संस्थान प्रशासन उदासीन रवैया अपना रहा है, इसमें संस्थान के निदेशक प्रो. आर के धीमन की भूमिका अहम है. यह कहना है एसजीपीजीआई के फैकल्टी फोरम के प्रेसिडेंट प्रो. अमिताभ आर्या का. वह मंगलवार को SGPGI फैकल्टी फोरम की तरफ से पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान एसजीपीजीआई फैकल्टी फोरम के सेक्रेटरी प्रो. पुनीत गोयल ने भी संकाय सदस्यों की समस्या को उठाते हुए कई आरोप लगाए हैं।
फैकल्टी फोरम की तरफ से 16 जनवरी 2024 को आम सभा की बैठक (General Body Meeting) की गई थी. जिसमें निदेशक डॉ. आरके धीमन (Present Director) पर प्रशासनिक उदासीनता और शिक्षकों के कार्यों की अनदेखी करने जैसे तमाम आरोप लगे।
प्रो. अमिताभ आर्या ने बताया कि बीते चार साल से यहां प्रोफेसर की गोपनीय रिपोर्ट की समीक्षा नहीं हुई है. उसे समय पर शासन में नहीं भेजा गया है. संकाय सदस्यों के प्रदर्शन की समीक्षा करना और संकाय पदोन्नति के लिए समय पर साक्षात्कार आयोजित करने का काम भी नहीं किया गया। संकाय सदस्यों को गैर-उत्पादक कार्यों में लगाना, जिसके कारण रोगी की देखभाल, शिक्षण प्रशिक्षण और अनुसंधान के कार्यों में बाधा पड़ना शामिल हैं. इसके अलावा कई अन्य कारण भी रहे जिसके चलते संस्थान छोड़कर डॉक्टर जा रहे हैं, उन्होंने बताया कि लखनऊ और उत्तर प्रदेश में आकर्षक वेतन संरचना वाले नए निजी/कॉर्पोरेट अस्पताल बढ़ रहे हैं, इसलिए संकाय सदस्यों से उनकी प्रतिक्रिया सुनना और उन्हें समय पर उनके जरूरी मांगे और भत्ते स्वीकृत करना बहुत महत्वपूर्ण है. ताकि उन्हें संस्थान में बरकरार रखा जा सके। उन्होंने बताया कि निदेशक ने संस्थान में वीआईपी कल्चर को भी बढ़ावा दिया है, वे उन्हीं लोगों की बात सुनते हैं, जो उनके लिए मायने रखते हैं।
फैकल्टी फोरम की तरफ से यह भी कहा गया है कि डॉ. धीमन का कार्यकाल फरवरी माह में समाप्त हो रहा है. ऐसे में संस्थान के सीनियर फैकल्टी को बतौर निदेशक काम करने का मौका मिलना चाहिए. जिससे मरीजों और संस्थान दोनों को लाभ मिल सके।
संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने फैकल्टी फोरम की तरफ से लगाए जा रहे आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि मेरे कार्यकाल में केवल 4 डॉक्टरों ने संस्थान छोड़ा है, 24 डॉक्टरों के संस्थान छोड़ने की बात पूरी तरह से निराधार है. उन्होंने कहा है कि यदि फैकल्टी फोरम इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टरों के संस्थान छोड़ने की बात कह रहा है, तो उसकी लिस्ट जारी करे।