लखनऊ

एक पुरुष से केवल एक व्यक्ति शिक्षित होता है लेकिन एक महिला से पूरी पीढ़ी : डॉ. राजेश्वर सिंह

डॉ. राजेश्वर सिंह ने 1,219 छात्राओं को बांटे टैबलेट व स्मार्टफोन, बेटियों की डिजिटल साक्षरता पर दिया जोर

डॉ. राजेश्वर सिंह ने अपने प्रभावशाली उद्बोधन से बेटियों का किया मार्गदर्शन, कहा- दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकती हैं भारत की बेटी

लखनऊ। आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं, तो केवल एक व्यक्ति ही शिक्षित होता है परंतु आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो पूरी एक पीढ़ी शिक्षित होती हैं। बेटियों के भीतर योग्यता, सामर्थ्य क्षमता की कोई कमी नहीं है, महिलाएं दुनिया में कुछ भी हासिल कर सकती हैं, उन्हें आवश्यता है तो बस प्रोत्साहन के साथसाथ आधुनिक गुणवत्तापरक शिक्षा की, वे अपने दम पर ऊंची से ऊंची उड़ान भर सकती हैं। एक मजबूत, स्वतंत्र और शिक्षित महिला से बड़ा स्थिरता का कोई स्तंभ नहीं है। ये प्रेरणास्पद वक्तव्य हैं सरोजनीनगर के शिक्षित और विजनरी विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह के, जो उन्होंने फैजाबाद रोड स्थित इसाबेला थोबर्न कॉलेज मेंआयोजित स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के अंतर्गत टैबलेट / स्मार्टफोन वितरण कार्यक्रम के दौरान उपस्थित छात्राओं से कहे। बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए डॉ. राजेश्वर सिंह ने कॉलेज के विभिन्न शिक्षण कार्यक्रमों में नामांकित 1219 छात्रों को स्मार्टफोन प्रदान किए साथ ही उनसे संवाद कर मार्गदर्शन भी किया।

इस दौरान डॉ. राजेश्वर सिंह ने डिजिटल साक्षरता के महत्व और उसकी आवश्यकता पर बात करते हुए कहा कि अब समय AI, Machine Learning, Robotics का है, भविष्य डिजिटल साक्षरता का है, भारत में 2026 तक 3 करोड़ डिजिटल विशेषज्ञ पेशेवर की आवश्यकता होगी, भविष्य की 92 प्रतिशत नौकरियों के लिए डिजिटल कौशल की आवश्यकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सेसंबंधित करीब 9.7 करोड़ अवसर सृजित होंगे। डॉ राजेश्वर सिंह ने डिजिटल शिक्षा के क्षेत्र में केंद्र राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे कार्यों की भी चर्चा की, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बेटियों को डिजिटल विशेषज्ञ बनानेके लिए अनेक योजनाएं संचालित हैं। पीएम मोदी ने NDLM, Digital India, Skill India जैसे अभियान शुरू किये हैं। उन्होंने छात्रोंको प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आपके पास असीमित अवसर हैं आपको देश के विकास को और आगे लेकर जाना है।

डॉ. राजेश्वर सिंह ने महिलाओं की सकारात्मक प्रगति का उल्लेख करते हुए बताया कि वर्ष 1980 में UPSC परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों में बेटियों का अनुपात 17-18 प्रतिशत था जो वर्ष 2023 में बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया है। अब सभी सिविल सेवापरीक्षाओं में टॉप 10 में 3-5 लड़कियों की हिस्सेदारी रहती है। बेटियों की रोजगार के क्षेत्र की हिस्सेदारी 1977-78 में 35.7 फीसदी से बढ़कर वर्तमान में 60.7 प्रतिशत हो गई है। वैश्विक स्तर पर लगभग 60 प्रतिशत तथा भारत में 51 फीसदी महिलाएं शिक्षक हैं।भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर 37 फीसदीहै। आज देश की जीडीपी में मातृशक्ति का योगदान करीब 18 प्रतिशत है, भारत कोविश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के लिए इसे 50 प्रतिशत तक ले जाना आवश्यक है।

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