संपादकीय

22 जनवरी को होगा हिंदू समाज के साथ-साथ गोरक्ष पीठ का सपना साकार

सुरेश बहादुर सिंह

अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का दिन  22 जनवरी  पूरे देशवासियों के लिए गौरवशाली दिन होगा लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए यह दिन अविस्मरणीय और यादगार इसलिए होगा क्योंकि  जिस गोरक्षपीठ के महंत ने राम मंदिर के निर्माण आंदोलन की शुरुआत की थी, उसी पीठ के महंत द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

ज्ञात हो कि राम मंदिर निर्माण के आंदोलन की शुरुआत गोरखनाथ मठ के प्रमुख महंत दिग्विजय नाथ ने की थी और उन्ही के शिष्य और तीसरी पीढ़ी के महंत योगी आदित्यनाथ के हाथों राम लला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। यह निश्चित रूप से एक विचित्र संयोग माना जाएगा की राम मंदिर निर्माण की जो मशाल गोरक्ष पीठ ने उठा रखी थी वह अब गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में पूरी होगी।

ज्ञात हो कि गोरक्ष पीठ के तीनों पीढ़ियों का राम मंदिर आंदोलन से गहरा रिश्ता रहा है गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर महंत दिग्विजय नाथ ने राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत की थी। उनके बाद महंत अवैद्यनाथ ने राम मंदिर निर्माण के आंदोलन का नेतृत्व किया, उन्हीं के आंदोलन शक्ति का ये प्रभाव है कि 22 जनवरी को उनका सपना साकार हो रहा है उनका सपना कोई दूसरा साकार नहीं कर रहा है बल्कि उनके ही शिष्य गोरक्षपीठ के वर्तमान पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साकार कर रहे हैं।

वैसे तो राम मंदिर का आंदोलन कई वर्षों पुराना है कई साहित्यकारों, लेखकों और राम जन्मभूमि आंदोलन की जानकारी रखने वालों ने आंदोलन के बारे में तरहतरह के तर्क दिए हैं लेकिन उन तर्कों के अलावा यह भी एक सच्चाई है कि राम मंदिर निर्माण के आंदोलन को धार गोरक्ष पीठ के महंत दिग्विजय नाथ जी ने ही दी थी और उनके संघर्ष को उनके शिष्य महंत अवैद्यनाथ ने मंजिल तक पहुंचाने का प्रयास किया था। महंत अवैद्यनाथ जी के बाद राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी उनके शिष्य और गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने संभाली, इसलिए 22 जनवरी योगी आदित्यनाथ के लिए अविस्मरणीय दिन होगा क्योंकि उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देशवासियों को राम मंदिर की सौगात देंगे।

राम मंदिर निर्माण के लिए वैसे तो मुगल काल से लेकर ब्रिटिश काल के गुलामी के दौर से ही संघर्ष जारी रहा है, लेकिन इस आंदोलन को एक व्यापक स्वरूप देने का श्रेय गोरक्ष पीठ के पीठाधीश्वर  रहे दिग्विजय नाथ को ही जाता है। उन्होंने पीठाधीश्वर बनने के बाद सारे देश के साधु संतों को राम मंदिर आंदोलन के पक्ष में एकजुट करने की मुहिम चलाई। उन्होंने सभी जातीय समीकरणों को दरकिनार कर पूरे हिंदू समाज को राम मंदिर के आंदोलन के समर्थन में एकजुट किया।

सन 1949 जब रामलला अयोध्या में प्रकट हुए थे तो महंत दिग्विजय नाथ के नेतृत्व में वहां अखंड रामायण का पाठ का आयोजन किया गया था। उसके बाद मामला अदालत में पहुंच गया और विवादित स्थल पर ताला लगा दिया गया

जिस मंदिर आंदोलन को महंत दिग्विजय नाथ ने जनजन तक पहुंचाया उनके ब्रह्मलीन होने के बाद उस आंदोलन की अगुवाई उनके शिष्य एवं उत्तराधिकारी महंत अवैद्यनाथ ने की। महंत अवैद्यनाथ अपने गुरु के सपने को साकार करने में जुट गए। उन्होंने संत समाज को एकजुट किया और फिर उसी संत समाज ने महंत अवैद्यनाथ को सर्वसम्मति से श्री राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का अध्यक्ष घोषित किया। देश के संतों के सहयोग से महंत अवैद्यनाथ के नेतृत्व में एक ऐसा जन आंदोलन हुआ जिसने पूरे देश में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में माहौल तैयार किया। महंत अवैद्यनाथ जी ने राम मंदिर निर्माण के पक्ष में पूरे देश में ऐसा माहौल तैयार किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने उनसे कई बार उनके आंदोलन को  स्थगित करने का अनुरोध किया लेकिन वह अडिग रहे। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण राष्ट्रीय सम्मान और पूरे हिंदू समाज की आस्था का प्रश्न है और इससे किसी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता उसके बाद उनके नेतृत्व में पूरे देश में रामशिला का पूजन का अभियान प्रारंभ हुआ। महंत अवैद्यनाथ ने श्री रामशिला पूजन कार्यक्रम के माध्यम से पूरे देशवासियों को राम मंदिर निर्माण के पक्ष में एकजुट करने की मुहिम शुरू की उनकी इस मुहिम को काफी सफलता मिली। पूरे देश का हिंदू समाज उनके साथ खड़ा दिखाई देने लगा। उनके नेतृत्व में पूरा हिंदू समाज तन मन धन से राममंदिर निर्माण के लिए कार सेवा करने के लिए तत्पर दिखाई देने लगा। उसके बाद इस आंदोलन को धार देने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने अपनी रथ यात्रा प्रारंभ की।

गोरखपुर के वर्तमान पीठाधीश्वर एवं प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बतौर सांसद अपने गुरु के सपने को साकार करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने राम मंदिर निर्माण की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान करते हुए राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में जुट गए योगी आदित्यनाथ जी के प्रयासों से 22 जनवरी को दुनिया के करोड़ों संतों , धर्माचार्यों हिंदू समाज का सपना पूरा हो रहा है गोरक्षपीठ के  संघर्ष को देश की जनता सदैव याद रखेगी और गोरक्षपीठ की ऋणी रहेगी।

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