लखनऊ
नारी शक्ति: मैं कलम श्रेया बन जाऊँगी….
श्रेया द्विवेदी
मैं कमल श्रेया नहीं बन पाई तो क्या, मैं कलम श्रेया बन जाऊँगी।
चला कलम कागज पर मैं अपना इतिहास स्वयं लिख जाऊंगी।
मैं कमल श्रेया नहीं बन पाई तो क्या कलम श्रेया बन जाऊंगी ।
उठा तलवार रानी बाई किला जीत कर लाई थी।
हरा–हरा अतुलित योद्धा वो वीरांगना नारी कहलाई थी।
मैं कमल श्रेया नहीं बन पाई तो क्या कलम श्रेया बन जाऊंगी।
ना समझ कमजोर नारी शक्ति को वह तो रण में भी उतर आयी थी। लिये पीठ राव को वह तो घोड़े भी दौड़ाई थी।
मैं कमल श्रेया नहीं बन पाई तो क्या कलम श्रेया बन जाऊँगी।