सखी सईंया तो खूब ही कमात है, महंगाई डायन खाये जात है?
एक बढ़ता हुआ दर्द जो गीत बन गया…….
पंकज सिंह चौहान
लखनऊ, करण वाणी। फिल्म पीपली लाइव का यह गीत काफी लोकप्रिय हुआ था। इस गीत के माध्यम से एक प्रमुख सामाजिक-आर्थिक समस्या ‘महंगाई’ की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया है।
अगर हम यह कहें कि देश में महंगाई और रोजगार जैसे मुद्दों पर जनता में लामबंदी बहुत कम देखी जाती है, लोग सड़कों पर नहीं उतरते तो मान लीजिए कि यह सरकारों का सौभाग्य है। असल में यही देश का दुर्भाग्य भी है।
सरकारें एक-दूसरे को कोसती रह जाती हैं। कोई कहता है पुराने दिन ही भले थे, कोई अच्छे दिन की ढांढस बंधाता रह जाता है। लेकिन समस्या जत की तस मुंह बाए खड़ी है।
इससे महंगाई के दौर में सत्ताधीशों को मौका मिल जाता है और उन पर कोई दबाव नहीं बन पाता। जिन आंखों में भविष्य के सुनहरे सपने रहने चाहिए, उनमें हताशा और निराशा देखने को मिलती है। बेरहम भूख, लोगों की जरूरतों के मद्दे नजर होने वाले कोशिशों को दो जून की रोटी तक समेट देती है। फिल्म ‘पिपली लाइव’ का यह गीत देश के ऐसे ही कमजोर लोगों के मन में उभरते हुए दर्द की अभिव्यक्ति है।
लखनऊ की तुलसी गुप्ता बताती हैं कि उनके घर में मात्र तीन जन हैं। छोटा परिवार रहने के बावजूद लगातार बढ़ती महंगाई लोगों को परेशान करने लगी है। कुछ चीजों व कार्यों में कटौती कर पैसे बचाने का प्रयास भी कर रहे हैं। रसोई की सामग्री खरीदना सभी के लिएजरूरी है। वर्तमान समय में रसोई की सामग्री के दाम भी इस कदर बढ़ गए हैं कि लोग उसकी खरीदारी में मात्रा की कटौती करने लगे हैं। एक वर्ष पूर्व रसोई गैस का सिलेंडर 745 रुपये में मिलता था। अब एक हजार-11 सौ में मिल रहा है। वह बताती हैं कि 30 से 40 रुपयेकिलो तक आटा बाजार में मिल रहा है और गेहूं 20 से 22 रुपये किलो है। जब 15 रुपये गेहूं था, तो 20 रुपये किलो आटा मिलता था। बीते दो साल में आटा का भाव दोगुना हो गया है।
सरसों का तेल 95 रुपये लीटर मिलता था। आज 160 रुपये या इससे भी अधिक भाव में मिलता है। दो साल में दो गुना से अधिकमसाला का भाव हो गया है। 2019-20 में जो गोलकी काली मिर्च 450 रुपये किलो मिलता था वह भी 900 रुपये किलो मिल रहा है। 70 का हल्दी अब 140 से 150 रुपये मिल रहा है। आलू और प्याज के भाव में भी उतार-चढाव जारी है। ऐसे में स्वाभाविक है कि रसोईका बजट गड़बड़ाया हुआ है। इधर कोरोना संक्रमण ने आम लोगों की मानसिकता बदली है और फिजूलखर्ची पर हर परिवार नियंत्रण का प्रयास करता है। अब रसोई से मसाले की गुम हो गई है सुगंध पूर्व में जब मसाला के दाम कम थे, तो लगभग सभी घरों में सब्जी बनने के दौरान मसाला की सुगंध आती थी। तब लोग इससे भी अंदाजा लगाते थे कि सब्जी कितनी अच्छी बन रही है। लेकिन अब अधिकांशघरों से ऐसी सुगंध किसी खास अवसर पर ही निकल रही होती है। वर्तमान में थोक मूल्य धनिया का 180 रुपये प्रति किलो, मरीच 900 रुपये प्रति किलो, हल्दी 100 रुपये प्रति किलो, अजवाइन 165 रुपये, मंगरेल 200 रुपये प्रति किलो सहित अन्य मसाला की सामग्रीके दाम भी इसके समान है।
50 रुपये किलो बिक रहा है दूध नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में दो रेट का दूध बिक रहा है। जो गाय और भैंस का दूध है उसमें भी दो तरह का रेट चल रहा है। सभी तरह के दूध लगभग 50 रुपये प्रति लीटर की दर से मिल रहा है। अधिक कीमत होने के कारण लोग कम दूध में ही काम चला रहे हैं।
सब्जियों व दाल के दाम में वृद्धि से पौष्टिक आहार में कमी स्वस्थ रहने के लिए चिकित्सकों की सलाह होती है कि हरी सब्जियां, दाल का अधिक से अधिक मात्रा में सेवन करें।
महंगाई की मार से सभी घरों में पौष्टिक आहार में कमी आ गई है। दाल में अरहर 140 से 160, चना 90, मसूर 110 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहे हैं। हालांकि कोई ऐसी हरी सब्जी नहीं है जो सस्ती हो। सभी सब्जी के दाम अधिक होने के कारण लोग दो दिन पर सब्जी की खरीदारी कर रहे हैं।