ग्राम पंचायतों में स्वयं सहायता समूह का हो रहा दुरुपयोग
आत्मनिर्भर होने से आज भी वंचित है गांव की गरीब महिलाएं, समूह में आये रुपयों को उठाया जा रहा ब्याज पर
अरविंद सिंह चौहान
लखनऊ। केंद्र सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्राम पंचायतों में स्वयं सहायता समूह को संचालित किया। जिससे ग्रामीण क्षेत्र में रह रही गरीब महिलाएं आत्मनिर्भर होकर अपने परिवार की आर्थिक तंगी में सहयोगी बन सके।लेकिन इसका खुलेआम दुरुपयोग किया जा रहा है।ग्राम संगठन अध्यक्ष , अध्यक्ष सीएलएफ , राष्ट्रीय आजीविका मिशन बीएमएम सरोजनीनगर की मिलीभगत के चलते अब तक समूहों में आये करोड़ों रुपए का घालमेल तीनों की तिकड़ी द्वारा किया जा रहा है।क्षेत्र में कहीं पर भी गांवों में इस योजना के तहत कोई भी रोजगार होता दिखाई नहीं दे रहा है।यहां तक इस समूह में अधिकांश अशिक्षित महिलाओं को शामिल इसलिए किया गया है जिससे इनके घालमेल का पता किसी को न चल सके।
महिलाओं के उत्थान के लिए चलाए जा रहे समूह का लाभ अधिकांश गरीब महिलाओं को आज भी न मिल पाने की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति जस की तस बनी हुई है।कई महिलाओं ने दो समूह को छोड़ भी दिया क्योंकि इन तीन महिलाओं की तिकड़ी के चलते उनको जबरदस्त तरीके से अनावश्यक परेशान किया जाता रहा है।गांवों में बनाए गए अधिकांश समूह में अशिक्षित महिलाओं को शामिल करके केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजना के माध्यम से धनराशि को अर्जित कर अनाप-शनाप ब्याज दर पर समूह के बाहर के लोगों को पैसा दिया गया है।समूह की महिलाएं अपने आवश्यक कार्य के लिए पैसे लेने के लिए ग्राम संगठन की अध्यक्ष , अध्यक्ष सीएलएफ, राष्ट्रीय आजीविका मिशन बीएमएम सरोजनीनगर के पास गिड़गिड़ाती रहती है लेकिन उनको पैसा नहीं दिया जाता है।कई संगठन की महिलाओं का आरोप है कि इन पदाधिकारियों द्वारा यह कहा जाता है कि अभी समूह में पैसा नहीं है जब पैसा आएगा तब तुमको देंगे।
जबकि पैसे के लिए वर्षों से महिलाएं इनसे फरियाद कर रही हैं लेकिन फिर भी आज तक अधिकांश महिलाओं को एक रुपये की आर्थिक सहायता समूह के माध्यम से नहीं मिल सकी।समूह में इन पदाधिकारियों के मनमानी का आलम यह है कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित 1% ब्याज दर से समूह से दी गई रकम की वसूली समूह की महिलाओं से की जानी चाहिए। परंतु इसके बावजूद समूह की महिलाओं से 2% की ब्याज दर वसूली की जा रही है।जिसको लेकर काफी हू हल्ला हो चुका है।इसके बावजूद इनके रवैये में कोई व्यापक सुधार नहीं हो सका।
इतना ही नहीं समूह में आए करोड़ों रुपए को निकाल कर समूह के बाहर के लोगों को 5 से 10% ब्याज की दर से दिया गया है।जिसकी वसूली संगठन की ग्राम संगठन अध्यक्ष , अध्यक्ष सीएलएफ , राष्ट्रीय आजीविका मिशन बीएमएम सरोजनीनगर द्वारा की जा रही है जिससे प्रति महीने लाखों रुपए की आमदनी हो रही है।
ग्राम सभाओं में संचालित इन समूहों की तरफ कोई भी अधिकारी ध्यान नहीं देता है जिसकी वजह से इनकी मनमानी अपने चरम सीमा पार करती जा रही है।इन समूहों के माध्यम से कई ग्राम सभा की महिलाओं को लाभ के लिए योजनाएं आई लेकिन उनको इसकी जानकारी नहीं दी गई।अपनी मनमानी करते हुए ग्राम संगठन अध्यक्ष द्वारा जिसको चाहा उसकी नियुक्ति करा दी गई जो इसकी पात्र भी नहीं थी। नियुक्ति की गई पदाधिकारी से अधिक शिक्षित महिलाएं आज भी अपने हक से वंचित इसलिए हैं क्योंकि उनको इसकी जानकारी ही नहीं दी जाती है।पूरी तरीके से गांवों में चलाए जा रहे समूहों में भ्रष्टाचार का इतना बड़ा बोलबाला है।अगर इसकी पूरी जांच विकासखंड स्तर पर कराई जाए तो लाखों करोड़ों रुपए का घोटाला उजागर होगा।