स्कूल संचालक नहीं मान रहे शासन प्रशासन का आदेश
- पूर्व निर्धारित समय से संचालित हो रहे स्कूलों क्लास हो रही छुट्टी, चिलचिलाती धूप में बच्चों का बुरा हाल
अरविंद सिंह चौहान
लखनऊ। गर्मी के तांडव को देखते हुए शासन प्रशासन ने भले ही स्कूलों के समय में परिवर्तन करते हुए आदेश जारी किया था। लेकिन इसके बावजूद किसी भी विद्यालय पर इस आदेश का कोई असर पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है।जिसकी वजह से राजधानी लखनऊ के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र में पूर्व निर्धारित समय के हिसाब से स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। भंयकर चिलचिलाती धूप में बच्चों का बुरा हाल है।अभी कुछ दिन पूर्व शासन ने भीषण गर्मी को देखते हुए स्कूलों में पूर्व निर्धारित समय में परिवर्तन करते हुए सुबह 7:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक ही स्कूलों के संचालन का आदेश दिया था। इस आदेश को पूरी तरीके से स्कूल संचालकों द्वारा ठेंगा दिखाया जा रहा है और मनमाने तरीके से स्कूल प्रबंधन विद्यालय का संचालन कर रहे हैं। जो उन्होंने पहले स्कूलों में क्लास लगने का समय निर्धारित किया था और छुट्टी होने का समय जो पहले से ही सुनिश्चित है। उसी के हिसाब से विद्यालय खुलने और बंद होने का कार्य जारी है। इन स्कूलों पर जरा सा भी शासन प्रशासन के आदेश के असर पड़ता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है।जिसको लेकर अभिभावकों में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है।हैरानी की बात यह है कि शासन लगातार बच्चों की भीषण गर्मी पर परेशानियों को देखते हुए स्कूल की समय सारणी परिवर्तन किया है।
लेकिन इसको विद्यालय तंत्र कुछ भी मानने को तैयार नहीं है। इस बात को लेकर आम लोग अचंभित है।जिस तरीके से भीषण गर्मी तांडव काट रही है। इसमें घरों के अंदर रहने वाले लोग बीमार पड़ जा रहे हैं वही छोटे-छोटे बच्चे चिलचिलाती धूप में जब दोपहर के समय छुट्टी होती है तो घर वापस आते हैं तो गर्मी की तपिश से का बुरा हाल होता है। बच्चों की यह परेशानियां मनमाने स्कूल के संचालकों को दिखाई नहीं दे रही है। यह इतने कठोर हो गए हैं कि छोटे-छोटे बच्चों की सूखे होठों पर भी तरस नहीं खाते हैं।जो गर्मी की तपिश से सूख जाते हैं। फिर भी विद्यालयों के समय में कोई परिवर्तन शासन के शासनादेश जारी होने के बावजूद नहीं किया है।
इन स्कूलो खिलाफ शासन को कठोर से कठोर कदम उठाना चाहिए।जिससे इनमें भी अन्य विभागों की तरह भय का माहौल उत्पन्न हो सके और जो भी शासन प्रशासन द्वारा आदेश जारी किए जाएं उनको पूरी तरीके से लागू किया जाए नहीं तो उनकी मनमानी का रवैया इसी तरीके से मासूमों की जान के साथ खिलवाड़ करता रहेगा। राजधानी में लगभग सभी स्कूलों का रवैया एक जैसा है।कोई भी इस आदेश के उल्लंघन से अछूता नहीं है।अगर इसी तरीके का अड़ियल रवैया विद्यालयों के संचालकों का जारी रहा तो शासन प्रशासन के आदेश मात्र मजाक बनकर रहे जाएंगे।